हे भक्त वत्सल कपा के सागर नमामि गुरुवर नररामि गृरुवर हे दीन बन्धो दया के सागर नमामि गुरुवर नमामि गरुवर जगत का उद्भव हुआ तुम्हीं से विलीन होगा पुनः तुम्हीं में हे शक्ति सिन्धो आनन्द सागर नमामि गुरुवर अलख निरंजन अचिन्त्य सत्ता भिकाल दर्शी महेश तुम हो तुम काल की हद के प्रभ जी बाहर नमामि गुरुवर यह सृष्टि तेरी संकल्प लीला तुम्हीं से होती सदा तुम्हीं में हे योग योगेश्वर आदि प्रथुवरः नमामि गुरुवर