तेरे दरसन सुधा को और भी पीलें तो चलें मभी जल्दी क्या है हम झम के गालें तो चलें जो तेज विश्व का गुरू रूप में आया है यहाँ मनुष्य रूप में जो सामने बैठा है यहाँ उसे जी भर के आंख से निहार लें तो चलें गगन की भांति जो अनन्त है वो सान्त बना जो रूप हीन निराकार वो साकार बना उसी की मूिति अपने दिल में बिठा लें तो चलें प्रणव हूं वेद के ईश्वर पुराण के हें यही हू श्याम मीरा औ राम तुलसी जी के यही जरा सेवा कपा निधान की करलें तो चलें
तेरी दर्शन सुधा को और भी पीलें तो चलें अभी जल्दी क्या है हम झूमके गालें तो चलें जो तेज विश्व का गुरु रूप में आया है यहाँ मनुष्य रूप में जो सामने बैठा है यहाँ उसे जी भरके आँख से निहार लें तो चलें गगन की भांति जो अनंत है वो सान्त बना जो रूपहीन निराकार है वो साकार बना उसी की मूर्ति अपने दिल में बिठा लें तो चलें प्रणव हैं वेद के ईश्वर पुराण के हैं यही हैं श्याम मीरा के औ राम तुलसीजी के यही जरा सेवा कृपा निधान की कर लें तो चलें