प्रभुजी की शरण में जो आयेगा भवसागर से पार हो जायेगा
मेरे नाथ आज कर दो दया हम तेरी शरण में हों चरणों की धूलि बन करके तेरे चरणों में समाहित हों
पेरे नाथ वह दिन कब आयेगा पेरा मन तुम्हीं में रम जायेगा
घरती को तुमने पावन किया है श्री चरणों को रखकर घर घर में धम का दीप जलाया योग प्रसारित कर मरे नाथ वह दिन कब आयेगा
मेरा मैं तुम्हारा बन जायेगा
हे अखिल विश्वनायक महान योगेश्वर जगदाधार हे कृपा सिन्धु प्रभु योगिराज विश्वेश्वर करुणागार मेरे नाथ वह क्षण कब आयेगा मेरा आपा तुम्हीं में खो जायेगा
प्रभुजी की शरण में जो आएगा भव सागर से पार हो जायेगा मेरे नाथ आज करदो दया,हम तेरी शरण में हों चरणों की धूलि बन करके तेरे चरणों में समाहित हों मेरे नाथ वो दिन कब आएगा मेरा मन तुम्हीं में रम जायेगा धरती को तुमने पावन किया है श्रीचरणोंको रखकर घर घर में धर्म का दीप जलाया योग प्रसारित कर मेरे नाथ वह दिन कब आएगा मेरा 'मैं' तुम्हारा बन जायेगा हे अखिल विश्व नायक महान योगेश्वर जगदाधार हे कृपा सिंधु प्रभु योगिराज विश्वेश्वर करुणागार मेरे नाथ वह क्षण कब आएगा मेरा आपा तुम्हीं में खो जायेगा