मनुज का रूप धारण कर मेरे गुरुदेव आये हैं जगत उद्धार करने को मेरे गुरुदेव आये हैं प्रभुजी के चरण के रज में पुरन ब्रह्म का सुख है चरण की ध्रलि में प्रभु के भरी कैवल्य मुक्ति है जसी पग की श्वुलि को देने मेरे गुरुदेव आये हैं प्रभो मैं अज्ञ हू जिससे न जानू प्राथना करना मैं हूँ आसक्त विषयों में न ज ति ध्यान भी करना असंख्यों पापियों को तारने गुरुदेव आये हैं पेरे प्रभुजी के चरणों में अनेकों तीर्थ का फल है पेरे प्रमुजी के दर्शन में ही ब्रह्मानन्द का सुख है अनाथों पर दया करने मेरे गुरुदेव आये है मनुज का रूप धारण गा
मनुज का रूप धारण कर मेरे गुरुदेव आये हैं जगत उद्धार करने को मेरे गुरुदेव आये हैं प्रभुजी के चरण रज में पूरन ब्रह्म का सुख है चरण की धूलि में प्रभु के भरी कैवल्य मुक्ति है उसी पग धूलि को देने मेरे गुरुदेव आये हैं प्रभो मैं अज्ञ हूँ जिससे न जानू प्रार्थना करना मैं हूँ आसक्त विषयों में न जानूँ ध्यान भी करना असंख्यों पापियों को तारने गुरुदेव आये हैं मेरे प्रभुजी के चरणों में अनेंको तीर्थ का फल है मेरे प्रभुजी के दर्शन में ही ब्रह्मानंद का सुख है अनाथों पर दया करने मेरे गुरुदेव आये हैं