शी प्रभु के श्री चरणों में ही वैकुण्ठ धाम है कितने ललाम हैं भरे कितने ललाप हैं श्री प्रयु को ही ईश जानो श्री प्रसु को ही ब्रह्म जानो श्री प्रथु के श्री चरणों में ही कंवल्य धम है नयनाभिराम हैं अरे नयनामिरास है भवतों को तुमने तारा असुरों को भी उधारा श्री प्रभु के श्री चरणों में ही साकेत धाम है श्री प्रभुजी ही राम हैं अरे श्री प्रभुजी ही राम हैं राधा के प्रिय तुम्हीं हो यधुदा के सुत तुम्हीं हो श्री प्रश्न के श्री चरणों में ही गोलोक धाम है श्रा प्रमुजी ही श्याम हैं अरे श्री प्रभुजी ही श्याम हैं