सुन ले ये बात समझ ले रे बन्द नहिं सद्गुरु से बड़ा कोई है नहीं मेरे प्रमु से बड़ा को गुरू पद काशी क्षेत्र विमल है तीरथ राज प्रयाग मचल है ध्यान का मूल गुरु का चरण है मन्त्र का मूल गुरू का बचन है सुन ले ये बात समझ ले रे बन्दे गा शिव ही गुरू है गुरु ही शिव हैं गुरु करुणा से शिव जी शिव हैं गुरू चरणोदक भव भय हारी गरुपद रज भय ताप निधारी सुन ले ये वात समझ ले रे बन्दे चिदूघन शोश्वत शांत निरंजन व्योमातोत विमोह विभंजन जन रंजन भव भय दुख भंज न मद मोहादिक रिपु दल गंजन सुन ले ये बात समझ तने श खुदेंदें