हे नेपाल वासी ऋषिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।
सिद्धगुफा के वासी प्रभुजी तुम ही हमारे हो।
हम हैं बालक दीन तुम्हारे तुम ही हमारे हो।।
हे सिद्ध गुफा के योगिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।
हे नेपाल वासी ऋषिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।।
हम अभिमानी मान सहित तव कीर्तन गाते हैं।
हर लो यह अभिमान तुम्हारी शरण में आते हैं।।
हे मुनि मन हारी मुनिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।
हे नेपाल वासी ऋषिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।।
हिमगिरिवासी सिद्धजनों के तुम ही तो सिरताज।
कृष्ण राम के भक्तों की भी तुम रखते हो लाज।।
हे सिद्धों के सिरताज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।
हे नेपाल वासी ऋषिराज तुम्हें हम दास बुलाते हैं।।