माँगी नाव न केवट आना कहई तुम्हार मरम मैं जाना चरण कमल रज कब वसब कहाई मानुस करिन कछु
टेक - करूँ ना गंगा पार बिना पद पंकज धोए
मैंने मर्म तुम्हारा जाना पद रज से तुम्हें पहचाना हुई अहिल्या ऋषि नार बिना पद पंकज धोए
उड़ जावे जी नाव हमारी हमसे बहुत लड़े घर वाली स्वामी यही मेरा रोजगार बिना पद पंकज धोए
चाहे लक्ष्मण बाण सँ भाले चाहे कड़वे वचन उचारे स्वामी मुझको है इन्कार बिना पद पंकज धोए
मैं हूँ नदी खैवैया तुम भव सागर पार तरैया स्वामी हर्ष पर्ष व्यवहार बिना पद पंकज धोए
जब चरण पखार लेऊंँगा जीवन सफल करूंगा स्वामी यही मुझे दरकार बिना पद पंकज धोए
माता ने अँगूठी उतारी दे दो राम जी उतराई केवट करै इन्कार बिना पद पंकज धोए
प्रभूरामलाल अवतार गुरु चन्द्रमोहन उचारे लीला है अपरम्पार बिना पद पंकज धोए
सिद्धगुफा का वरण गुरु चन्द्रमोहन का शरण मिले ना बारम्बार बिना पद पंकज धोए