सबरी देखि राम गृह आए मुनि के वचन सुमुझि जिय भाए
टेक - मिलनी कर रही रस्ता साफ आज मेरे राम आएँगे
मैं तो मती मन्द गंवारी प्रभू आपसे आशा भारी चरणों से अहिल्या तारी मुझे भी पार लगाएँगे
आजा राम तेरी आज चाह है आने में देरी क्या है तू शाहों का शाह है राम कब दर्श दिखाएँगे
जंगल में बस्ती मेरी मैं दीन क्या हस्ती मेरी मैं लाई चुन चुन बेर राम मेरे भोग लगाएँगे
है भाग्य ने पलटा खाया दिन राम मिलन का आया हुआ भाग्य मेरा सवाया राम की लीला गाएँगे
यह जीवन है इक फंदा मैं गुरु वचन पर जिन्दा हैं गुरु चन्द्र मोहन कमाल हम गुरु गुण ही गाएँगे