गुरुदेव हमारे मन मन्दिर में दर्शन दिया करो मोक्ष दायिनी गीता वाणी हमको सुनाया करो
जब जब याद करूँ गुरुदेवा मन भर भर कर आता है पांचों इन्द्री बद्रीया बरसे होश मुझे नहीं रहता है संस्कार मेरा कैसा आया निज शरण दिया करो
मैं तो मति मन्द ग्वारा हूँ तुम करुणा कर प्रति पाला हो हे भाग्य विधाता पतित पावन-सिद्धयोग के दाता हो जब जब भू पर पग धरो मेरी सेवा लिया करो
प्रभू दे दो मुझको ऐसी शक्ति पा जाऊँ तेरे चरणों की भक्ति लगी रहे पल-पल सुरती अन्त समय मिल जाए मुक्ति चंचल चित्त मेरा शान्त रहे डेरा मन में लगाया करो
नैया भवर में डाल रही तुम ही मेरे खेवैया हो निराकार साकार चराचर योगेश्वर हितकारी हो श्री चरणों में गंगा बहती अधम गोता लगाया करो