गुरु के दर का मैं पुजारी रहूँगा प्रभु के चरणों की मैं सेवा करूँगा
जो कहोगे मुझसे वही है करना ना कभी दिल से है इंकार करना तेरी मर्जी में सदा राजी रहूंगा
प्यार पाता रहूँ दर पे आता रहूं जी ये सिर तेरे चरणों में झुकाता रहूँ जी मैं सारे जग में यही कहता फिरूगा
दुख दे या सुख दे गुरु जी मुझको प्यार तेरा मिल जाये हम सभी को अगर तू सुनेगा तो मैं यही कहूँगा
आशीर्वाद मिल जाए गुरुवर तुम्हारा ना जग में है कोई और हमारा शीश पै चरणों को सम्हाले रहूँगा
दया की दृष्टि कर देना ओ दाता जन्म जन्म का है तू मेरा विधाता झोली यूँ ही 'अधम' फेलाता रहूँगा