आओ आओ गुरुजी अब आओ
मेरी लाज तुम्हारे साथ है बे सहारों का तू ही सहारा
दीनों का तू ही नाथ है
योग को जगाने की खातिर तूने यह रूप बनाया था जीवन तत्व करा कर तूने दुनिया का रोग भगाया था अब मेरे लिए क्या देर है देर नहीं तो क्या अन्धेर है मात-पिता हो जब मेरे मुझे किस बात का गम है
अलुपुर जन्म लिया था तुमने मथुरा मन को भाया था लाहौर तक की शिक्षा लेकर सवांई डेरा लगाया था झासी ऋषिकेश की क्या बात है देश विदेश में जी धाक है हम दीनों को क्यों बिसराया कौन हमारे साथ है
दीन हीन और दुखिया तारे हमने क्या अपराध किया जब से दीक्षा ली है जब से दीक्षा ली है गुरु जी तब से तेरा नाम लिया ना और कहीं मुझे ठौर है ना तुझसे बड़ा कोई और है दर पर पड़ा हूँ तेरे तेरो दया की दरकार है
दीन दयालु जगत कृपालु तुम ही मेरे पालक हो सैया भंवर में डोल रही है तुम ही मेरे खैवैया हो सिद्धयोग ही शक्ति संचार है साधना में ही विस्वास है दया की दृष्टि हो जाए 'अधम' का बेड़ा पार है