गुरु जी मेरी चरण लगन मत तोड़ना लाखों गुनाह हैं मेरे आना जाना मत छोड़ना
बिन सेतू सागर गहरा बीच भँवर मत छोड़ना पहनी है सिद्धयोग की माला ये कभी मत तोड़ना
हृदय रूपी मेरी खेती चरण बिन मत सोखना खेती बोई गुरु नाम की मेरे भरोसे मत छोड़ना
जन्म जन्म के मेरे अन्तर्यामी पोल मेरी मत खोलना नयनों का मैंने हार बनाया मुखड़ा कभी मत मोड़ना
सवाई धाम ले जा करके सेवा से मुझे जोड़ना सिद्धगुफा में बैठा करके ध्यान मेरा मत तोड़ना
जन्म जन्म के संस्कार भरे जो दया कर निधोडना आ जाए जब लहर शिवा में मुक्ति वर खोलना
हृदय में गुरु डेरा डालो हाथ पकड़ मत छोड़ना 'अधम' गलती का पुतला कान पकड़ मरोड़ना