गुरुदेव सुनो अर्ज मेरी हम शरण आपकी आए हैं श्रद्धा सुमन श्रो चरणों में हम अर्पित करने आए हैं
गुरुदेव हमारे सिर ऊपर तेरी दया का हाथ रहे हे नाथ हम अनाथ न हों तू सदा हमारे साथ रहे जीवन के बढते कदमों में लाखों कष्ट उठाए हैं
प्रभूदे दो हमको इक शक्ति चरणों में हमारा ध्यान रहे श्रद्धा बढ़ा दो तन मन में दौलत का ना गुमान रहे अब काया कल्प करो गुरु जी जितने दोष समाए हैं
हो साक्षात् परब्रह्म तुम्हीं वेद पुराण के दाता हो हे कृपालु दीनदयालु मुक्ति के तुम दाता हो बन्धन मुक्त करो गुरु जी यह आश जिगर में लाए हैं
ना चाहत मथुरा कांशी की ना चाहत चारों धामों की तीर्थ श्री चरणों में मिल जाए धूल सवांई की राम कृष्ण गोविन्द तुम हो गुरु चन्द्रमोहन कहलाए हैं
तुम ही गंगा तुम ही यमुना कांशी और प्रयाग तुर्म्हीं गंगा सागर धाम तुम्हीं निर्बल के हो प्राण तुम्हीं मुक्ति के हो धाम तुम्हीं सब आपके ही नजारे हैं
तुम ही ब्रह्मा तुम ही विष्णु तुम ही महादेवा हो सुर नर मुनी जन पावें मुक्ति ध्यान तेरा जो धरता हो जब-जब आर्त पुकार सुनी अधम के कष्ट मिटाए हैं