बिगड़ी नरनीनें वाले निगड़ी नंनी दे
बिगड़ी बनाने वाले बिगड़ी बना दे भंवर में है नैया मेरी पार लगा दे जन्म जन्म मैंने पाप कमाया पूजा पाठ कभी याद न आया भूल भूलैया मेरी माफ करा दे
तीन लोक में तेरा नाम बड़ा है सिद्धगुफा में सिद्धयोग भरा है मुझको वहाँ का सेवा दार बना दे
काठके सहारे लोह तर जाता सर्व समर्थ से बेड़ा पार हो जाता अपनी नैया में मुझ को बैठा दे
गए लत लोतनिजीवतादास दिच दान दिया है घनेरों को तूने भय रहित किया है मुझ पर भी ऐसा रहम दिला दे
पधार किसी घर तूने भोज किया है साइकिल पर आकर दीक्षा दिया है मुझ में भी ऐसी लहर जगा दे
स्नान के लिए पानी गर्म किया है फलाहार का भी इन्तजाम किया है
कितनों को तूने 'अधम के घर भी कभी बैल बजा दे