दोहा
कवि नहीं जो कविता लिखूं गायक नहीं जो गाऊँ।
योगेश्वर की कृपा है जो गुरु चरणों में पाऊँ।।
सपने में मेरे गुरु जी आए महिमा कही ना जाए रे। --- टेक
धोती कुर्ता पहने थे वो तेज सहा ना जाए रे।।
बैल बजी दरवाजा खोला सामने भाग्य विधाता थे।
कर दण्डवत आसन दीन्हा कोमल चरण पखारे थे।।
प्रेम मगन आरती किन्हीं मन्द-मन्द मुस्काए रे। --- १
मीठा-मीठा भोज बना कर थाली में सजाए दिया।
गौ रस में केसर पा कर सिद्धेश्वर को पेश किया।।
दोऊ कर जोरी प्रार्थना किन्हीं रुच-रुच भोग लगाए रे। --- २
दाता जी यौं कहन लगे अब हमको आराम करना है।
चार बजे उठ कर हमको जल्दी सवाँई जाना है।।
श्री चरणों की सेवा पाई योग निद्रा आई रे। --- ३
सवाँई जाने से पहले अमृत कण बरसाए थे।
धीरे-धीरे याद करूँ मैं सर्वेश्वर जो फरमाए थे।।
अधम सपना टूट गया गुरुजी गुरुजी पुकारूँ रे। --- ४
महिमा कही ना जाये रे तेज सहा ना जाए रे।
तेज सहा ना जाए रे महिमा कही ना जाए रे।। --- ५