सुर भी तेरा स्वर भी तेरा तेरा हो सम्मान
मैं तो धौंकनी लोहार की सांस लेत बिन प्राण
तर्ज - गाड़ी आळे मनै बिठाले
सँवाई वाले भाग जगा दे दया की दृष्टि डाल।
गुरु जी मैं आ ऐ गया।। --- टेक
जब से तेरा शरणा मिला आरती पूजा करता हूँ।
भोर उठ कर ध्यान करूँ चरणों में शीश झुकाता हूँ।।
लल्ला कह कर उर से ला लो रख दो सिर पर हाथ। --- १
हृदय रूपी मेरी खेती चरण गंग बिन सूख रही।
कैसे फल फूल लगैं आशा मेरी टूट रही।।
योग प्रेम की वर्षा कर दो कर लूं मैं अस्नान। --- २
यम नियम का पालन ना ध्यान धारणा कब होगा।
पांच तत्व का नव द्वारा जल कर ढ़ेरी रह जागा।।
इस नगरी में आओ गुरु जी दे दो गीता ज्ञान। --- ३
माली सिचे सौ घड़ा बाग हरा हो जाता है।
योगेश्वर की शरण पड़ा फल जल्दी पा जाता है।।
धोली धोती धोला कुर्ता मन्द-मन्द मुस्कान। --- ४
शंकर के अवतारी हो दुनियां के रखवाले हो।
लाखों पापी तार दिए झोली सब की भरते हो।।
गया ना खाली कोई स्वाली आ कर तेरे द्वार। --- ५
अड़सठ तीर्थ श्री चरणों में गोता मेरा लगवा दो।
प्रभु रामलाल के चरणों में खाता मेरा खुलवा दो।।
पल-पल का मैं आशावादी दे दो आशीर्वाद। --- ६
योगेश्वर का मनोदेश हुआ सँवाई में प्रवेश मिला।
पाप के उपर पुण्य आया सिद्धेश्वर का दर्श हुआ।।
लीला अद्भुत लीलाधर की 'अधम' सदा कुर्बान। --- ७