तुम्हें सुमरूँ श्री गणराज मेरे कीर्तन में विघन पड़े ना। --- टेक
शिव शंकर के लाल कहाए।
पारवती माता गोद खिलाए।।
मूसे के असवार मेरे कीर्तन में विघन पड़े ना। --- १
एक दंत लम्बोदर स्वामी।
घट घट के प्रभु अन्तरयामी।।
विद्या के भंड़ार मेरे कीर्तन में विघन पड़े ना। --- २
तुम सम देव और नहीं दूजा।
प्रथमहि होई तुम्हारी पूजा।।
रखियो मेरी लाज मेरे कीर्तन में विघन पड़े ना। --- ३