हर दिल की प्रशू धड़कन तू बनें हर दिल की प्रभू धड़कन तू बनें घर घर में तेरा दरबार रहे मैं तुझसे कहूँ तु मुझमें रहे हर सांसों में तेरा अधिकार रहे
तेरे दर पे जो आता वो पाता यहाँ हर क्षण में तेरा दीदार यहाँ तीनों लोकों का तू है विधाता चरणों में मेरा अधिकार रहे
चांद तारों में तेरी झलक है यहाँ देखता सबको गुरुवर खबर है यहाँ कुछ न उससे छुपा सब है उसको पता हर मन में तेरा गुलजार रहे।
चमन में खिलाता है फूलों को तू सूरज की चमक किरणों में है तू चाहे काटों में रखना चाहे फूलों में रखना पर गुरुवर वहाँ तेरा राज रहे
जो आता यहाँ वो जाता वहाँ आने जाने का नाता पुराना यहाँ सूरज हो उत्तरायण शुक्ल पक्ष की छट जिल्हा पर तेरा बस नाम रहे।
गुरुवार, दि. 5 मई 1994