तर्ज - हमरे बलमा बेईमान
देखा खुल गए हमरे भाग्य हमारे सद्गुरु आये हैं करने को उद्धार हमारे घर में पधारे है
तू ही है सरवज्ञ हमारा मेरा तो संसार तुम्हीं से विदुरानी जब पड़ी कष्ट में दुर्बासा मुनि छके कृष्ण से बन कर योगीराज कृष्ण मेरे घर में पधारे है
राम कृष्ण का नाम जो लेता भव सागर से मुक्ति पाता गुरुचरणों को जो है पखारे खुद तो खुद परिवार भी तरता शिव शंकर भगवान है बनकर घर में पधारे हैं
जब जब विघ्न पड़े सेवक पर तुझको सद्गुरु देव पुकारा कष्ट पड़े जैसे नरसी पर कृष्ण ने आकर उन्हें उबारा वैसे ही संकट में जानकर घर में पधारे है
सोसवार, दि. 8.2. 7994, इन्दौर