तर्ज - ए मेरे दिले नादान तू राम से न घबड़ाना
गुरुदेव निभाया है आगे भी निभा लेना जब अन्त निकट आये प्रभु सामने आ जाना
जब से है होश लिया तुझको ही माना है तुझसे ही सब मांगा तुझसे ही पाया है अब और नहीं कोई प्रभु दर्श दिखा जाना
क्या कुछ न दिया तूनें सब कुछ तो तुम्हारा है कष्टों में पड़ा जब भी तूने पार लगाया है अब अन्तिम यही विनती निज धाम बुला लेना
गलती जो हुई प्रभुजी उन सबको क्षमा करना जैसा भी हूं मैं गुरुवर चरणों में सदा रखना अनजान सफर में प्रभू मुझे मार्ग दिखा जाना
रविवार, दि. 25 जनवरी 2998, रायपुर