तर्ज - बाबुल की दुआयें
गुरुदेव कृपा का कोई अन्त नहीं सदराह तुझे बतला देंगे महिमा मण्डल का छोर नहीं मंजिल तक वो पहुंचा देंगे
घर में यदि हो कथा प्रसंग मन झूम रहा भगवन के संग पहले पूजन करना गुरु का गणपति जी स्वयं आ जायेंगे
यदि कठिन लगे तुझको अर्चन ना हो पाये प्रभु का दर्शन सच्चे मन से गुरु को जपना कैलाशपति आ जायेंगे
जीवन यापन यदि हो न सके घर बार भी तुझसे बन न सके अर्पण हो जाना गुरुवर पर गीता के श्याम बुला देंगे
उलझन में यदि फंसता जाये रस्ते भी नजर नहीं आयें गुरुवर से प्रीत लगा लेना वह राम के दर्श करा देंगे
निर्बल तन जप अभिशाप छकगे दुष्टों से खुद जब घिरने लगे गुरुवर ही साथ तेरा देगा मारुति नंदन आ जायेंगे
मंगलवार, दि. 48 सित. 2004, इन्दौर