यह मत पूछो मुझसे गुरुवर मैं क्या क्या लेकर आया हूँ भगवान तुम्हारें मन्दिर में मैं दीप जलानें आया हूँ गुरुदेव तुम्हारे चरणों में मैं फूल चढ़ाने आया हूँ
सेवा की कोई वस्तु नहीं पर मेरा हदय देख लेना रो रो कर आज आंसुओं का मैं हार चढ़ाने आया हूँ
तुमसे लेकर क्या भेंट करूँ भगवान तुम्हारे चरणों में तुम दाता हो मैं भिच्छुक हूँ संबंध बताने आया हूँ
प्रभु का चरणामृत लेने को है पास मेरे कोई पात्र नहीं आँखों के दोनों प्यालों में मैं भीख मांगनें आया हूँ