तर्ज - सद्गुरु को पाने का
योगेश्वर सद्गुरु सा दुनिया में न दूजा है दे दे जिसको वो जब चाहे एसा वो निराला है
उसके बिना जग जीवन अधूरा मुक्ति का दाता दे सबको बसेरा जीवन का विधाता वो जन जन का सहारा है
कोमल वो इतना बच्चा क्या होगा उससा दयालू ईश्वर न होगा बिगड़ी किस्मत के रस्तों की वो फिर से बनाता है
गुरु बिन मुक्ति मिलती न जग में उस पर समर्पित होता जो मन से क्या ब्रह्मा विष्णु महेश बनता सबका चहेता है
शुक्रवार, दि. 46.05.2003, इन्दौर