तर्ज - गंगा तेरा पानी अप
तीरथ गुरुवर चरणों में ये हम नहीं है कहते कहते हैं भगवान सदाशिव माँ को दी क्षा देते
कितने योगी उठे गिरे थे गुरुवर चरण में आके अटल रहा विश्वास ढिगा ना बचे वही हैं आके तेरे बिन योगेश्वर जग का इतिहास लिखा ना जाये
गंगोत्री तेरे चरणों में अमृत कलश यहाँ है क्या पूजा क्या ध्यान समाधी बिन तुझ सहज नहीं है यहा मुनी मन मौजी योगी तुझसे समाधी पाये
चारों दिशाओं से आते थे गिनती नहीं भक्तों की चरणों में झुक वे पा जाते खुशियाँ मन और तन की चारों धामों का पुण्य यहाँ दर्शन कर पा जाते
ग्राम अलूपुर ज्योति जली थी योग की राह दिखानें भटके पथिकों को पास बुला प्रभु मार्ग नया बतलायें उठाके ऋषियों से भी ऊपर दुर्लभ शक्ति दिलाते
दि. 07.07.2007, डी