जुड़े जो गुरुवर सदा से तुमसे उन्हें क्यों इतना सता रहे हो
त्रिकाल दर्शी दया के सागर बुलाया तुमने तो आ गए हैं टकते रहते जनम जनम तक ना समझे अब तक बचा रहे हैं कभी खुशी और गमों के झटके समय समय पर दिखा रहे हो
मुश्किल से पाया जनम ये हमनें क्यों इसमें हमको झुला रहे हैं मन से जानी तुम्हारी लीला क्यों इससे हमको ढिगा रहे है चरणों को पाके प्ले बड़े हम क्यों ये हमको दिखा रहे हो
तुम शक्तिशाली दया के सागर प्रभु कुछ तुमसे छुपा नहीं है तब जमकर भी क्यो ना बचाते कदम प्रभु क्यों बहक रहे हैं तुम्हारा सेवक सभी को मालुम बदनाम प्रभुजी तुम हो रहे हो
सुना ही ना प्रभु देखा है हमनें क्यों मन में संशय जगा रहे हो कठिन था देखा सुन्दर सा सपना क्यों उससे हमको उठा रहे हो तुम्हारी लीला तुम्हीं हो जाने क्यों इसमें हमको भरमा रहे हो
दि. ।5 मार्च 2008, इन्दौर