आज गुरुवार है गुरुजी का दरबार है आज गुरुवार है गुरुजी का दरबार है
सच्चे मन से जो भी गाता उसका बेड़ा पार है जीवन पथ अनजान है बिन गुरु मिले न मुकाम है दर दर पे क्यों मारा फिरता खोदी उमर तमाम है
गुरु निर्माता भाग्य विधाता शक्ति का भंडार है गुरु कृपा वा भव सिंधु से होगा बेड़ा पार है गुरु सबका आधार है गुरु महिमा ना पार है
सगे सम्बन्धी काम न आते अंत समय जब आता है घोर विपत्ती के समय में गुरु ही तुझे बचाता है तन मन धन बलिदान कर जीवन का कल्याण कर
सेवा कर गुरु चरणों की तू कर्म यही निष्काम है कलियुग में तेरे तरने का बस एक यही मुकाम है आना अब तो शरण में बन्दे यही तेरा सुखधाम है
गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णू गुरु साक्षात् महेश है गुरु कृपा हो जाने से ही कटते सकल कलेश है गुरु पर तू विश्वास कर जाप मंत्र दिन रात कर