तर्ज - तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा
सदा से तुम्हारा मन से वचन से हे मेरे सदूगुरु चन्द्रमोहन स्वामी कोई मेरे मन में झाके तो जानें मैं हूं दास उनका वो है मेरे स्वामी
इधर क्या उधर क्या सभी ओर तुम हो हमारी नजर में ख्यालों में तुम हो मुझे अपने चरणों की थोड़ी रज़ दे दो तर जाऊँगा मैं भी चन्द्रमोहन स्वामी
तुम्हीं मेरी सासों की हर पल की गिनती हो तुम्हीं मेरे मन के मंदिर की पूजा हो मैं हूँ तेरे दर का छोटा सा भिखारी तुम्हीं प्राण मेरे चन्द्रेश्वर स्वामी
जनम यो ही बीतेना अपना बनालो कलियुग के पंजों से मुझको बचालो तुम्हारा रहा हूँ तुम्हारा रहूंगा मैं बर मांगू बस ये ही चन्द्रमोहन स्वामी
कहां ते दयानिधि भगवन तुम्हें मेरा वंदन बनाये सदा ही रखना कृपालु ये बंधन तुम्हारी शरण हूं तुम्हारा पुजारी सदा ध्यान में रहना चन्द्रेश्वर स्वामी
दि. 5 जुलाई 222