तर्ज - अपनी छाया में
अपनी छाया में गुरुवर बिठाले मुझे मैं हूँ तेरा तू अपना अपना बन ले मुझे
हो खुशी या फिर गम मैं तुम्हारा रहूँ जब जब लूँ मैं जनम तेरे दर पे रहूँ जब तलक जिन्दगी आजमाले मुझे आजमाले मुझे
तेरे दर पर सदा भक्तों की भीड़ है सब की सुनता है तू सब तेरे खास है अपने चरणों से गुरुवर लगाले मुझे हाँ लगाले मुझे
क्या यहाँ क्या वहाँ तुझको सबकी खबर पाके तुझको हुए दुनियां से बेखबर योगेश्वन चन्द्रमोहन अपना ले मुझे अपनाले मुझे
दि. 20 मई 993