तर्ज - दिल देता हैरो रो दुद्दा
तेरे मन में बसे है गुरुदेव पर तूनें कभी ध्यान ना दिया मुश्किल से मिला है ये नरतन पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया
कौन है अपना कौन पराया झूठे रिश्तों में मैं भरमाया देखो अब न हो जग में हँसाई पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया
योग का जीवन में अपनाके मंत्र जाप से इसको सजाके बज उठेगी मन की शहनाई पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया न
तन मन्दिर है मन सिंघासन गुरुवर का चले वहाँ अनुशासन देखो करना ना उससे ढिठाई पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया पर तूनें कभी ध्यान ना दिया
नर 2९ धरे पर दि. 24 जुलाई,