तर्ज - दिल एक मंदिर है
जो बीते वो फिर नहीं आते बीते सि याद आते हैं गुरुदेव का मंदिर है कृपा का समंदर है होती है पूजा हर घर में जिसकी उसका ये मन्दिर है
हर कोई चाहे मोती बीनना हीरा सबको मिल नहीं पाता पर मिल जाता उसको सब कुछ गुरु में जो रम जाता लाखों में इक दर है पूजा का सरोवर है होती है पूजा हर घर में जिसकी उसका ये मन्दिर है
कलियुग माया हर पल बिछाए कांटों के रस्ते किले भी आयें उस पर रख विश्वास है पक्का पल में सब हट जायें कर्मों का ये फल है भक्ती श्रद्धा का संगम है होती है पूजा हर घर में जिसकी उसका ये मन्दिर है
सबसे सुंदर कर्म यही है गीता का संकेत यही है छोड़ के सब अर्पण उसको है योगी का घर है चन्द्रमोहन सद्गुरु हैं योगेश्वर सर्वेश्वर है होती है पूजा हर घर में जिसकी उसका ये मन्दिर है