प्रभु रामलाल स्तगुरु सुख राशी प्रगटे मन - मंदिर के वासी ।
दर्शन करत कटे यम फांसी परम दयालु देव अविनाशी ।
योग सूर्य बन करे प्रकाशा पूरन करे भक्तन की आशा ।
यो विधि विनय करी बहुतेरी आज लगी मुश्किल से फेरीस निशिदिन बाट लखी प्रभु तेरी रामरती चरनन की चेरीस अब विनती मम कृपानिधाना प्रण निभाना भूल न जाना ।
हमको भी वो दृश्य दिखाना जिससे हो आनन्द महाना ।
नमों - नमो पूरण योगेश्वर
नमो नमो पतितों के ईश्वर ।
नमों-नमों कर ज्ञान प्रकाशा नमीं-नमों कर तम का नाशा । नमों- नमो प्रभु अपरमपारा नमों-नमों त्रिगुण से न्यारा । जो कोई शरण आपकी आवे चार पदार्थ सहज ही पाये। प्रेम के वश मद-मद मुशकावे आनन्द धारा हृदय बहावे दुःख हरण स्वरूप अति लोभा कैसे करें श्री प्रभु जी की शोभा । नाम श्री रामलाल परम उदारा धोती-करिता तने परे लीन पतित-हित प्रभु अवतारा ।
नाम श्री चन्द्रमोहन परम उ दारा।,
थोती - कुरता तन पर धारा !!
योग साधना का बेड़ा लाए लाखों पापी प्रभु ने पार लगाए ।
श्री हारे भक्ति बैकुंठ ले जाए श्री गुरु योगी जी से मुक्ति पाए ।
ग्यारह बार पाठ कर जोई पूरण कामना उनकी होई
समाप्त