योगेश्वर हे चन्द्रमोहन हम तुम्हें नहीं बिसरायेंगे निर्देश करो आदेश तो दो जीवन भी समर्पित कर देंगे
जब आये थे कुछ पास न था लेकर हम प्रभु क्या जायेंगे जो कुछ है दिया सब तेरा है हम कैसे किसे दे पायेंगे साक्षात् नहीं सपनों में सही जो कहोगे हम कर डालेंगे
सम्मान दिया मेरे कष्ट लिये खुद को न अलग कर पाओगे दिन गुजर गए सब तुझसे थे हम दूर कहां जा पायेंगे चाहे जितने दुर्दिन आयें तेरा साथ नहीं हम छोड़ेगे
इक विनती मेरी प्रभु तुझसे है अपनी छवि दिल से हटाना नहीं हट जाए कभी हो ना एसा दुनियां में मुझे फिर रखना नहीं मिट कर चरणों की धूल बनूँ तुझ पर अर्पण हो जायेंगे
दि. 30 जून 2007, इन्दौर