तर्ज - फूल तुम्हें भेजा है
सौंप दिया अब तो ये जीवन बना तुम्हारा दीवाना पास रखो या दूर करो प्रभु अब तो नहीं हूं बेगाना
जिस ने न देखा मात्र सुना था समझ गए हस्ती है क्या दिखा दिया उनकी शक्ति ने बता दिया विश्वास है क्या मांगा जब गुरुवर ने गुरिया सौंप दिया तन मन अपना
दुष्ट मजारें भूत प्रेत तो आगे इनके पानी भरें यदि उनके बच्चों पर कर दी वक्र दृष्टि आहे वे भरें हरें कष्ट और कार्य हुए सब सबने जमी ये घटना
सागर की ही सत्य ये घटना पूज्य उमा पूरनचन्द्र भी थे छोड़ के रस्ता प्रति दिन का प्रभु डगर गही जहां पटेल थे हटा के भ्रम नासमझी का पूरा किया उसका सपना
दि. 76 अप्रैल 2005, डत्दोर