तर्ज - देखो मौसम क्या बहार है
जीना मरना तेरे हाथ है हँसना रोना तेरे हाथ है क्या आगे क्या पीछे मुड़के नहीं देखना है
जो भी होता तुझसे होता तेरा ही हो जाता है वही तो प्रभु का भक्त कहाता उनमें ही मिल जाता है देख रेख सब वो ही करता मन को ज्ञान से वो ही भरता नर मारी श्रद्धा से भरके जनम बनाते है
चरण कमल वन्दन करने से मुक्ति मार्ग मिल जाता है निश दिन पूजा पाठ मनन से मन निर्मिल हो जाता है हर तन का श्रृंगार वो करता हर जन का आधार वो बनता कष्टों को पल भर में हरके तन को सजाता है
गुरुवर महिमा के वर्णन से हर दिशा पल्लवित होती है जो तन्मय हो सुमरिन करता कलि काट प्रभू में रमता है भूला भटका जो भी आता परम धरोहर वो पा जाता परमेश्वर वो परम धरोहर पा जाता है
दि. 46 फरवरी 200, इन्दौर