राम बोलो कृष्ण चाहे दर्शन ना हो पायेंगे कृपा न हो गुरुवर की जब तक प्रभू नहीं मिल पायेंगे राम श्री राम बोलो श्याम राधे श्याम
बिन पानीं ना फूल खिलें धरती बंजर रह जाती है कीचड़ हो चाहे जितना भी कमल वहाँ खिल जाते हैं ऐसे ही जब कृपा करें गुरुबर जीवन सफल बनाते है
चमक दमक लाख दुनियां भर की बिरले ही बच पाते हैं शबरी के बेर सुदामा के चावल लोग समझ ना पाते हैं रविदास भोजन की महिमा गुरु प्रेमी ही पाते हैं
धर्म विमुख सतपथ से हटना कलियुग की पहचान है ये तक तक जिसकी पहुँच न पायें अंध विश्वास कहते है ये इस दुनियां से परे भी कुछ है गुरुवर राज बताते है
गुरुवार, दि. 26 अक्टूबर 7995