ना किया सकर्म अब जो तो बहुत पछताए गा खाली हाथ ही आया था तू खाली हाथ चला जायेगा
चार दिन की जिन्दगी में कुछ दिन गुजारे मौज में जो बचे है पास में उनको लगा ध्यान में देखना गुलजार इक दिन मन तेरा बन जायेगा
भूल कर भी भूल से तू भूल में ना भूलना दिखता है सब सच नहीं संसार में ना भूलना यदि गया जो भटक तो फिर दाता को क्या पायेगा
कर्म हो निष्काम यदि और मन में प्रभु का वास हो साया हो गुरुवर का जिस पर हर घड़ी अहसास हो खाली हाथ ही आया
यह तो है संसार क्या उस जग से पूजा जायेगा खाली हाथ ही आया था खाली हाथ न जायेगा ना किया सत्कर्म
शुक्रवार, दि. 49 सितम्बर 227 रायपुर