तर्ज - छल्या मेरा नाम
यही है तेरा काम करले प्रभु गुणगान दुनियां से कुछ साथ न जाए साथ रहे प्रभु नाम
पंच तत्व का है ये जीवन क्यों इसे तू मिटाये लाख चौरासी चक्कर खाकर फिर भी संभल न पाये भक्तों के भगवान योगीराज महान ये ही हमको मार्ग दिखायें शरण में आ जाए
दो दिन का जीवन पाकर के वो ही क्यों इठलाये करले ऐसा साथ रहे जो मन को क्यों उलझाए नहीं रहे घर द्वार तेरा ये इन्सान आजा शरण प्रभू की बन्दे उन्हीं से तेरा काम
कुछ दिन की दुनियां में आकर रह न सका है कोई बाद की दुनियां का हाल है आकर कह न सका है कोई मारण है अन्जाम राही तू नादान प्रभू ही उस दुनियां में लगावें पार तुझे इन्सान
छोड़ प्रभू पर जीवन नैया तू नादान सिवैया टेर प्रभू को ध्यान लगा ले चरण पकड़ ले भैया पाले मोक्ष महान फिर नित ही मिलें भगवान जिनको पाकर के दुनियां से रहे नहीं कुछ काम
5 जून, 7996