तर्ज - लागी छूटे ना अब तो सन
किस्मत खुलती है सबकी यहाँ कोई माने या मानें नहीं सबकी यहाँ
औओ जाने वाले इतना समझ तेरी मंजिल है कहाँ खाकर ठोकर आना ही होगा तेरे गुरुवर हैं यहाँ पा न सकेगा इस दुनिया में एसा जहाँ
गुरुवर जैसा दीन दयाला दयालू ना कोई करता जो रक्षा हर पर तेरी कृपालू ना कोई ऐसी शरण को छोड़ मैं जाऊँ जाऊँ कहाँ
प्रभुजी तुमसे विनती यही है अपनाएं रखना समदर्शी तुम खुदगर्जी से बचाए रखना करना कृपा प्रभु भटक न जाऊँ तेरे यहाँ
दि. 9 जून 92926. ड्दौ