सतगुरु गो से दे दो वरदान रखाते-पीते झोने तुम्हारा रहे ध्यान ।
तेरे ही चरणों में मनू मेरा लागे नश्टार जगत से मन मेरा भागे चरणों की धूलि में करू स्नान खाते-पीते साते तुम्हारा रहे च्यान
सतगुरू मेरे -
सुबह-शाम तेरा ध्यान लगाऊँ लगाऊ घट भीतर तेरा दर्शन पाऊ मात-पिता और 1 और तू ही भगवान खाते-पीते सोते तुम्हाटा रहे ध्यान
सतगुरू मेरे
सूब तज शरण लई प्रभु तेरी विनया सुनो। गुरूवर ये मेरी कर दो कृपा ओल्या निधान निधान खाता- पिते सोते तुम्हारा रहे च्यान
सतगुरू मेरे -
खोटा खरा मैं बन्दा तेरा मारो चाह तार दो बेहा र तेरे दिन आये ना दूजा च्यान पर खाते-जिते-सोते
प्रभु जी निज चरणों की हे अवगुण किजी की भक्ति दिजी विगती ये भक्त कारे नाहान
खाते
पावसात तुम्हारी र