तर्ज - साजन जी घर आए
दर्शन दो प्रभु आया सदूगुरु जी मैं आया मैं आया मैं आया मैं तेरे द्वार आया
सारे जग का दाता है दीन बन्धु सुख दाता है कृष्ण रुप घनश्याम है तू तू ही मेरा विधाता है तुझसे ही सब पाया तुझसे मेरे दाता
तेरे दर जो आता है तुझसे प्रीत निभाता है तेरा ही हो जाता है ध्यान योग पा जाता है अन्त सभी का आना तुझमें ही मिल जाना
भक्तों को रस्ता देता है मुक्ती का मार्ग बताता है कष्टो से राहत देता है बीमारी हर लेता है सबका साथ निभाता सबके दिल में छाता
दि. 4 मार्च 7999, इन्दौर