तर्ज - इन्सान का इन्सान से लि
दुनियाँ में गूँजे नाम यहाँ गुरुदेव तुम्हारा यही हो ध्येय हमारा यही उद्देश्य हमारा
हर सख्श रहे खुशहाल जपे प्रभु नाम है तेरा पूरब हो या पश्चिम गूंजे नाम तुम्हारा हर घर में हो तेरा नाम तू ही योगेश्वर प्यारा
ना कोई हो ऊँचा और ना कोई नीचा सब गले मिले रहे साथ जैसे फूल बगीचा निष्कंटक हों सब राहें मिले तेरा सुखद सहारा
मन में हो ना कोई गाँठ रहे सब सत्य समर्पित निष्ठा में ना हो कमी कोई सब तुझ पर अर्पित सब रखें प्रभू तेरा ध्यान तू ही सबसे है न्यारा
चलते फिरते या उठते सब करें जाप प्रभु तेरा तेरी छाया में रहते कहें सब योग का नारा क्या होती है प्रभु प्रीत मिले सबको ही सहारा
दि. 9 अप्रैल 722*' ढ्दौर