बीते दिन फिर कहाँ से मिलते है गुजरा दिन फिर न हाथ आएगा लेना जो भी वो आज ले ले तू कल का है क्या फिर कभी न पाएगा
इक दिन वो भी कभी तो आएगा तेरे अपने तुझे न जोरेंगे तब आयेगी याद उसकी ही बीते दिन पास फिर न आयेंगे
मौका आज तूने फिर से पाया है जमें पाये समझ के करना है थोड़ी सेवा उसे बहुत होगी थोड़े में ही बहुत वो देता है
यदि किस्मत में उसकी छाया है फूल खिल जायेगा अंधेरे में मन में थोड़ा भी उसका साया है वह तो मिल जायेगा अंजानों में
दुनियाँ में गर किसी भी कौने में यदि उसका मनन है सीने में खिचके आयेगा रुक न पाएगा योगेश्वर तेरा तेरे मन्दिर में
मन तेरा सद्गुरु का दर्पण है उसकी छाया सदा तू पायेगा करना ऐसा कि तन न हो काला रस्ता खुद वो तुझे दिखाएगा
दि. 23 मई 2005, इन्दौर