भेंट कया दूँ कुछ समझ नहीं सब कुछ तेरा नाथ सोचा समझा बस दिखा खुद अर्पण हूँ नाथ प्रभूजी खुद अर्पण हूँ नाथ
कोई जपता कृष्ण को भजे राम का नाम ब्रह्मा विष्णु महेश तुम सभी ओर तेरा धाम प्रभूजी सभी ओर तेरा धाम
क्या पीछे क्या सामने बिन तेरे सब सून तेरे बिना जीवन नहीं पानी बिना ज्यों मीन प्रभूजी पानी बिना ज्यो मीन
दर तेरे दरबार का पाकर बने है सन्त क्रषि मुनि तरसे दर्श को नहीं कृपा का अन्त प्रभूजी नहीं कृपा का अन्त
मिलता यहाँ सब कुछ है मिले न सत्गुरु संग वह बिरले अनुमोल हैं जो पावे सत्संग प्रभूजी जो पावे सत्संग
लिये जनम अनगिनत हैं नहीं हमें कुछ ध्यान अंतरयामी नाथ हो भुगतानों से निदान प्रभूजी भुगतानों से निदान
विन गुरु मुक्ती ना मिले मिले न सच्ची राह मोती तो जल में रहे मिले न सबको थाह प्रभूजी मिले न सबको थाहं
दि. 9 मई 2002: कह