पियूं प्रभु चरण कमल धोय धोय पियूं प्रभु चरण कमल
जन्में महाप्रभु श्री गण्डाराम घर निर्मल मुक्ती होय चरण कमल तपस्वियों को मिल गए सुमिरत योगी होय
एक दिन मिल गए राम रती को तप बिन योगिनी होय वही चरण मेरे गुरुवर को मिल गए अखण्ड ज्योती होय
एक दिन मिल गए मेढू मल्लाह को क्षण में मुक्ती होय सन्तन को जब जब मिल जायें प्रभूजी इच्छा पूरन होय
सिद्ध गुफा के दर्शन करके पुनरजनम ना होय प्रथम पातकी तार दिए है प्रभूजी हम सब खड़े रहे होय