सुनलों मैं तुमकों सुनाऊं गुरुदेब की दिव्य कहानीं तर मानो तोता सुनाऊँ गुरुदेव व्य कहानी नो मं वमवी कहता सुनी मांजी की अमरत कभी कं
ग्राम अलूपुर में गुरु प्रगटे धरती के लाल कहाए मानों धरि के रुप बालक का वृजनंदन ही खुद आए न कैसी अतुलित अनुपम शोभा जाये कोटि न मुखन बखानी
बचपन की अवस्था से ही हर बात थी अजब निराली मोहन-मोहन संग खेले खेले होली मनाये दिवाली कैसा अद्भुत बालक है ये चकराएं जग के प्राणी
ये पुण्य आत्मा भारी प्रभु रामलाल अपनाए कृपा शक्ति सदाशिव प्रभु से कुण्डली तुरंत जगाए जा के सहस्त्रासार में बैठी शक्तियों की वो पटरानी
हुआ विश्व योग सम्मेलन चर्चा हुई जिसकी भारी मद में आकर कुछ बोलो क्रिस्टोफर आदि जतला दिए दुनियाँ को क्या है होते योगी ध्यानी
हुए लीन ईश्वर में लगे सबके दिल अकुलाने हैं वो अजर अमर अविनाशी जनमानस को समझानें गई स्वयं करा खुद गंगा हुए चकित सभी संसारी
ड्न्दौर नरेन्द्र धारद्वाज, दि. 25 जुलाई 20 03