हमारे है श्री गुरुदेव,
हमारे है श्री गुरुदेव हमे किस बात की चिन्ता चरण में रख दिया सिर को हमारे रही फिर किस बात की चिन्ता
जो रख दिया शीश चरणों में किया करते हो तुम दिन-छैन न खाने की न पीने की रहे हर सॉस में हरदम, हमरे हुई इस दास पर कृपा सौंप दी डोर उनके हाथ रही फिर किस बात की चिन्ता तुम बिन बात की चिन्ता 'न मरने की न जीने की तेरे बस नाम की चिन्ता बनाया दास प्रभु अपना " रही फिर किस बात की चिता हमारे है श्री गुरुदेव, हमे