होरी खेलि रहे सतगुरु जी अपने भक्त जनों के संग
प्रीति नौ कलश क्रियों मेरे सतगुरु प्रेम धोरि दिया रंग नाम भी भरे पिचकारी मारी भ्रम अज्ञान भयो भग होरी खेलि
तबला बाजे सारंगी बाजे और बाजे मिरदंग सद्गुरू जी बसी बाजे ग्वाल-बाल संग ! होरी खेल
ऐसी होरी सब कोई, खेनौ, छोड़ जगत व्यौ संग मैं सेवल सद्गुरू को चेलो घट बरसाइ दियो रंग होटरी खेल रहे