चाहे हार हो चाहे जीत हो पडतेरो चरणों में सतगुरू मे
जन्म - 2 से रटन लगाई अब तो सतगुरु बनी सहाई चरन कमलू से दूर न करना तेरे चरणों बार-2 में देऊ दुहाई, चाहे हार
किसमत में क्या खैर नही है.. क्याइजीवन में में स्वेर नहीं है दूर तो हो गई दर पर देरी, विश्वास अंधेर नहीं है-2 चाहे हार
तेरे चरणों
प्रति
दीन दयाल हम है नाम तुम्हारा दाखयों का तुसने भीर भी अगर पुरम सहारा फेरला तो फिर होगा कौन हमारा चाहे हार
तेरे चरणों
दूट मेरे के लाखों पुजारी आया शरण तुम्हारी तन मन धन सब वॉर के हाला मागू तुम से भक्ति तुम्हारी चाहे हार
तेरे चरणो