लाए योग की गठरिया खोली भारत में।
खोली भारत में प्रभु ने खोली भारत में।। --- टेक
दीन दुःखी निर्बल भक्तों का हृदय में दुःख जान।
चले हिमालय छोड़ प्रभुजी देने को सद्ज्ञान।।
जिससे तरते भव सागरिया। --- १
प्रभु कि वाणी में होता है शक्ति का संचार।
कितने पापी किये प्रभु ने भवसागर से पार।।
जैसे रामरति उद्धरिया। --- २
सिद्ध योग कि महिमा प्रगटी प्रभुजी के दरबार।
उनका ही प्रचार करें श्री चन्द्रमोहन करतार।।
जाकर घर-घर हर नगरिया। --- ३
सिद्ध गुफा की रज में कैसा डाल गये वरदान।
श्रद्धा से जो इसे चाटता हो जाता कल्याण।।
हटती दुःखों की डगरिया। --- ४
सिद्ध आश्रम खुले जहाँ पर योगी करते ध्यान।
जीवन तत्व सिखाया जाता जहाँ सुबह और शाम।।
जिससे बढ़ती है उमरिया। --- ५